पाठ योजना क्या होती है Effective Lesson Plan-
अध्यापक एक पाठ पढ़ाने के लिए उसे छोटी इकाईयों में बांट लेता है। एक इकाई की विषय वस्तु को एक पीरियड में पढ़ाया जाता है ।इस विषय वस्तु को पढ़ाने के लिए एक विस्तृत रूप रेखा तैयार की जाती है।जिसे पाठ योजना कहा जाता है।
सिम्पसन के अनुसार पाठ योजना में शिक्षक अपनी विशेष सामग्री और छात्रों के बारे में जो कुछ भी जानता है उन बातों का प्रयोग सूव्यवस्थित ढंग से करता है।
पाठ योजना की आवश्यकता Lesson plan requirement-
शिक्षक के लिए पाठ योजना निर्माण उतना ही आवश्यक है जितना एक अभियंता को भवन निर्माण के लिए मानचित्र या ब्लूप्रिंट का होना आवश्यक है। कक्षा में सफल एवं प्रभावी शिक्षण हेतु पाठ योजना अत्यंत आवश्यक है शिक्षण की प्रक्रिया में पाठ योजना की आवश्यकता के निम्न कारण है।
1.पाठ योजना में विशिष्ट उद्देश्य लेखन कक्षा शिक्षण को दिशा प्रदान करते हैं।
2. यह कक्षा नियंत्रण तथा प्रेरणा एम व्यक्तिगत विभिन्नता की आधार पर शिक्षण प्रक्रिया के नियोजन में सहायता प्रदान करती है।
3. इससे बालको को पूरा ज्ञान होता है जिस पर आदमी शिक्षण आधारित होता है जिससे छात्र नवीन ज्ञान का निर्माण करते हैं।
4. किसी पाठ्य वस्तु के दैनिक शिक्षको सफलता एवं प्रभावी रूप प्रदान करने हेतु पाठ योजना सहायक है
5. इससे विषय वस्तु का चंद्रमा अनुसार तथा व्यवस्थित होता है एवं प्रभावशाली संगठन होता है।
6. इसकी माध्यम से शिक्षक शैक्षिक लक्ष्य तथा प्रक्रियाओं का नियमन संपूर्ण लक्ष्यों तथा क्रियाओं के रूप में तैयार करता है।
7. चिंतन में क्रमबद्ध ता एवं विकास की लिए यह आवश्यक है।
8. यह अध्यापक के लिए पथ प्रदर्शक एवं मित्र का कार्य करती है।
9. पार्टी योजना शिक्षक को आवश्यकता अनुसार समय विभाजन और प्रयोग के लिए अवसर देती है।
पाठ योजना के उद्देश्य Lesson plan objectives-
पाठ योजना के उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं-
1. कक्षा में शिक्षण की क्रियाओं तथा सहायक सामग्री की पूर्ण जानकारी कराना।
2. निर्धारित पाठ्य वस्तु के सभी तत्वों का विवेचन करना।
3. प्रस्तुतीकरण के क्रम तथा पाठ्य वस्तु के रूप में निश्चितता की जानकारी कराना।
4. कक्षा शिक्षण की समय शिक्षक के विस्मृति की संभावना कम होना।
5. शिक्षण अधिगम, सहायक सामग्री के प्रयोग के स्थल,शिक्षण विधि तथा प्रविधियों का निर्धारण करना।
पाठ योजना की रुपरेखाLesson plan outline-
Lesson plan निर्माण हेतु शिक्षक के समक्ष निश्चित लक्ष्य रहता है तथा इसी आधार पर शिक्षक किसी कक्षा में पाठों को प्रस्तुत कर सकता है पाजी योजना की रुपरेखा हर परपस प्रणाली के आधार पर निम्न प्रकार से तैयार की जा सकती है।
1. सामान्य सूचना-
इसमें पढ़ाई जाने वाले पाठ का शीर्षक, कक्षा, कलांश,अवधि,विषय, प्रकरण, दिनांक,आदी को शामिल किया जाना चाहिए। जिस विद्यालय में शिक्षण किया जाना है उसका नाम भी अवश्य लिखना चाहिए।
2. सामान्य उद्देश्य-
लेखन प्रथम बिंदु की आधार पर सामान्य उद्देश्य को निर्धारित किया जाता है भाषा रसायन विज्ञान गणित हिंदी सामाजिक अध्ययन विषयों के सामान्य उद्देश्य भिन्न-भिन्न होते हैं।
3. विशिष्ट उद्देश्य-
पाठ विशेष को पढ़ाने में जिस उद्देश्य की प्राप्ति होती है वह लिखना चाहिए। विशिष्ट उद्देश्य सामान्य उद्देश्यों पर आधारित होते हैं परंतु उद्देश्य प्रकरण से संबंधित होता है।
4. शिक्षण सहायक सामग्री-
पाठ पढ़ाने में किस प्रकार की अधिगम सामग्री की आवश्यकता पड़ती है उसका उल्लेख करना चाहिए जैसे-श्वेत वर्तिका,श्यामपट,चार्ट, मॉडल इत्यादि।
5 पूर्वज्ञान-
इसमें बालक को पांच से संबंधित जो ज्ञान पहले से ही है जिसकी आधार पर पाठ को प्रस्तावित करना है पूर्व ज्ञान के आधार पर पाठ का प्रारंभ होता है।
6. प्रस्तावना-
पूर्व ज्ञान के आधार पर शिक्षक प्रश्नों या चार्ट के द्वारा पाठ को प्रस्तावित करता है प्रस्तावना का अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है।
7. प्रस्तुतिकरण-
Lesson plan के इस भाग में छात्रों के सम्मुख नवीन ज्ञान प्रस्तुत किया जाता है इसके लिए प्रस्तुत दो भागों में विभक्त कर दिया जाता है एक भाग में अध्ययन स्थितियॉ एवं दूसरे भाग में अध्ययन बिंदु लिखते हैं ।शिक्षक विभिन्न शिक्षण पद्धति,विभिन्न प्रविधियों दृश्य श्रव्य विधियों का प्रयोग करता है। विषय वस्तु को एक या दो सोपानो में प्रस्तुत किया जा सकता है।
8. बोध प्रश्न-
शिक्षक पढाये गए पाठ में से प्रश्न पूछता है जो बोध प्रश्न कहलाते हैं।
9. श्याम पट कार्य-
शिक्षक द्वारा पढाये गए प्रयोग आदि के आधार पर निष्कर्ष निकलवाता है अध्यापक को ऐसा प्रयास करना चाहिए कि बालक स्वयं ही निष्कर्ष निकाले जब छात्र श्याम पट सारांश की नकल करते हैं तथा शिक्षक कक्षा निरीक्षण करता है।
10. मूल्यांकन-
अध्यापक द्वारा पढ़ाये गए पाठ में से ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि बालको ने कहा तक नवीन ज्ञान अर्जित किया है।
11. गृह कार्य-
पाठ के अंत में बालक को पाठ से संबंधित कुछ कार्य घर के लिए देना चाहिए इसकी जांच अगले दिन की जानी चाहिए इससे छात्र अर्जित ज्ञान का प्रयोग करना सीखते हैं।
Science lesson plan ki books
पाठ योजना बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें- Lesson plan create
शिक्षण की कुशलता वह सफलता बहुत कुछ पाठ योजना के निर्माण पर निर्भर करती है अतः पाठ योजना बनाते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
1. विद्यार्थियों की शारीरिक व मानसिक योग्यता व क्षमताओं को जान लेना चाहिए।
2. पाठ योजना निर्माण में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन की जाने हेतु स्थान होना चाहिए।
3. पांच योजना बनाने से पहले विषय का गहन ज्ञान होना चाहिए।
4. पाठ योजना बनाते समय कक्षा-स्तर का ज्ञान अवश्य होना चाहिए।
5. एक अच्छी पाठ योजना बनाने के लिए शिक्षक को अपने विषय की गहन जानकारी की साथ अन्य सभी विषयों का सामान्य ज्ञान होना चाहिए।
6. प्रकरण को एक या अधिक सोपानों में विभाजित करना चाहिए।
7. सोपानो हेतु शिक्षण विधि या नीति का चयन करना चाहिए।
8. पाठ योजना में उद्देश्यों को सावधानीपूर्वक स्पष्ट रुप से लिखना चाहिए।
9. पांच योजना का निर्माण करते समय शिक्षक को समय का पूरा पूरा ध्यान रखना चाहिए।
10. शिक्षण सिद्धांतो,शिक्षण सूत्रों तथा शिक्षा विधियों का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
11. पाठ के लिए आवश्यक सामग्री का निर्धारण तथा इसके प्रयोग को सुनिश्चित कर लेना चाहिए।
12. विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान की जानकारी शिक्षको होनी चाहिए।
एक प्रभावी पाठ योजना की विशेषताएं Features of an Effective Lesson Plan-
1. प्रभावी पाठ योजना एक कक्षा में प्रयोग में आने वाली क्रिया की प्रस्तावित रुपरेखा है।
2. कक्षा में पाठ योजना विधिवत लिखित रूप में होनी चाहिए।
3. पाठ योजना किसी न किसी उद्देश्य तथा उद्देश्यों पर आधारित होनी चाहिए।
4. पाठ योजना में प्रयुक्त होने वाली शिक्षण सहायक सामग्री का उल्लेख करना चाहिए जैस-े चार्ट,मॉडल ,मानचित्र,फिल्म स्ट्रिप,स्लाइड आदि।
5. आदर्श पाठ योजना विद्यार्थियों की पूर्व ज्ञान पर आधारित होनी चाहिए।
6. पाठ आधुनिक विषय वस्तु होती है जो शिक्षण बिंदु या संप्रत्ययों के रूप में लिखी जाती है।
7. पाठ को उचित सोपान में विभाजित कर देना चाहिए।
8. पाठ योजना में भाषा की सरलता स्पष्टता होनी चाहिए।
9. पाठ के लिए उपयुक्त शिक्षण विधि के प्रयोग की और संकेत किया जाना चाहिए।
10.विषय वस्तु का यथासंभव दूसरे विषय से समन्वय स्थापित होना चाहिए।
11. यथास्थान उदाहरणो का प्रयोग किया हुआ होना चाहिए।
12. व्यक्तिगत विभिन्नताओ केआधार पर शिक्षण देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
13. विकासात्मक तथा विचारात्मक प्रश्नों का प्रयोग करना चाहिए।
14. पाठ की अवधि,कक्षा का स्तर,विषय वस्तु, प्रकरण आदि सामान्य सूचनाओं का उल्लेख किया जाना चाहिए।
15. श्याम पट सारांश पाठ की विकास के साथ-साथ प्रयोग होना चाहिए।
एक अच्छी पाठ योजना का प्रारुप (lesson plan template )नीचे दिया गया है जिसके आधार पर आप एक पाठ योजना का निर्माण कर सकते हैं।
Micro teaching Lesson plan for Science इस प्रकार से तैयार किया जाता है।
पाठ योजना प्रारूप
Lesson Plan format
विद्यालय .............................................................................................
दिनांक .....................................कक्षा .................वर्ग
.............................
विषय ......................................कालांश ..............समयावधि
....................
प्रकरण ______________
शिक्षण उद्देश्य-
उद्देश्य
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अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन
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1.ज्ञानात्मक
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2.अवबोध
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3.अनुप्रयोगात्मक
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4.कोशल
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5.अभिरुचि
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6. अभिवृत्ति
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vआवश्यक सामग्री:-
Lesson plan में उन सहायक सामग्रियों को लिखते हैं जो शिक्षण के दौरान कक्षा-कक्ष में काम में ली जाती है जैसे- श्वेत वर्तिका,लपेट फलक, संकेतक, चार्ट, मॉडल एवं अन्य कक्षा उपयोगी सामग्री आदि।
v
शिक्षण बिन्दु:-
1. 2. 3
v
शिक्षण विधि-
v
पूर्व ज्ञान:-
v
प्रस्तावना:-
क्र.स.
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छात्राध्याप्क क्रियाएं
|
विधार्थी क्रियाएं
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1.
2.
3.
4.
5.
|
प्रश्न
प्रश्न
प्रश्न
प्रश्न
प्रश्न
|
उत्तर
उत्तर
उत्तर
उत्तर
उत्तर
|
v
उद्देश्य कथन:-
अच्छा तो बच्चों,आज हम इस(प्रकरण) टॉपिक पर विस्तृत अध्ययन करेंगे
v
प्रस्तुतीकरण (Lesson plan Presentment) :-
शिक्षण बिन्दु
|
छात्राध्याप्क क्रियाएं
|
विधार्थी क्रियाएं
|
सहायक सामग्री
|
श्यामपट्ट सार
|
1.
2.
|
विकासात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1
प्रश्न 2
प्रश्न 3
छात्राध्याप्क कथन-
बोध प्रश्न-
1.
2.
उपर्युक्त प्रारूप के
अनुसार
|
उत्तर
उत्तर
उत्तर
छात्र ध्यानपूर्वक सुनकर तथ्य को समझेंगे
|
|
|
v
मूल्यांकन प्रश्न-
1.वस्तुनिष्ठ प्रश्न
2.वस्तुनिष्ठ प्रश्न
3.अतिलघुरात्त्मक प्रश्न
4. अतिलघुरात्त्मक प्रश्न
5.निबंधात्मक प्रश्न
v गृहकार्य प्रश्न- 1.
2.
पर्यवेक्षक टिप्पणी हस्ताक्षर
पर्यवेक्षक