मनोविज्ञान की प्रकृति (Nature of psychology)

मनोविज्ञान की प्रकृति (Nature of psychology)

मनोविज्ञान मानव व्यवहार का विज्ञान है।मनोविज्ञान positive और Normative दोनों प्रकार का विज्ञान है।मनोविज्ञान केवल मानव के व्यवहार का अध्ययन ही नही करता अपितु मानव व्यवहार को प्रमाणित करने वाले विभिन्न तत्वों का अध्ययन भी करता है।
मनोविज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है इसकी प्रकृति सार्वभौमिक,सार्वकालिक, सर्वदेशीय तथा शाश्वत है।
मनोविज्ञान की परिभाषाओं (Psychology Definitions)के आधार पर निम्न विशेषताए स्पष्ट होती है-

-मनोविज्ञान मानव व्यवहार का विज्ञान है।
-मनोविज्ञान विकासात्मक विज्ञान है।
-मनोविज्ञान मानव के मनो सामाजिक व्यवहार का अध्ययन करता है।
मनोविज्ञान की परिभाषाओं की विशेषताओं आधार पर मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक मानी गई है।किसी भी विषय को विज्ञान तब कहा जाता है जब उस विषय की विषय-सामग्री में विज्ञान के पांच तत्व उपस्थित हो।और मनोविज्ञान में उपस्थित तत्व निम्न है-
1.वैज्ञानिक विधियाँ (Scientific Methods)-
आज के मनोवेज्ञानिक पद्दतियों के आधार पर अध्ययन किया जा रहा है।इस अध्ययन के अन्तर्गत प्रयोगात्मक,निरीक्षण, संख्याकीय तथा मनोमिति विधियों की प्रधान भूमिका है,जिसके आधार पर मनोविज्ञान को वैज्ञानिक कहा जा सकता है।


2.वस्तुनिष्ठता (Objectivity)-
किसी समस्या का अध्ययन कई अध्ययनकर्ता कर रहे है और सभी अध्ययन कर्ता एक ही निष्कर्ष पर पहुँचते है,तो यह कह सकते हैकि प्राप्त निष्कर्षो में 'वस्तुनिष्ठता' है।यदि निरीक्षण कर्ता की प्राणिगत विशेषताओं का निरीक्षण पर प्रभाव नही पड़ता है,तब ऐसे निरीक्षण से प्राप्त परिणामो को वस्तुनिष्ठ परिणाम कहते है।मनोविज्ञान में वैज्ञानिक विधियों के आधार पर समस्या का अध्ययन उनके सत्य रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है।जिसका संकेत परिणामो की वस्तुनिष्ठता की और है।इस प्रकार मनोविज्ञान के निष्कर्षो में वस्तुनिष्ठता मिलती है।

3.प्रमाणिकता(Varifiability)-
मनोविज्ञान की विषय-सामग्री को पुनः परीक्षण करने पर एक ही पाया जाता है,जो मनोविज्ञान की प्रमाणिकता को सिद्ध करती है।मनोविज्ञान में प्रमाणिकता का गुण होने के कारण इसको विज्ञान की श्रेणी में ला सकते है।

4.सार्वभौमिकता (Universality)-
सभी वैज्ञानिक विषयों के नियम और सिद्धान्त सार्वभौमिक होते है।मनोविज्ञान की विषय वस्तु में सार्वभौमिकता का गुण है और यह विषय वस्तु विशेष परिस्थतियों में किसी काल में खरी उतरी है यही सार्वभौमिकता है।


5.भविष्यवाणी(Prediction)-
मनोविज्ञान की विषय वस्तु में भविष्यवाणी की योग्यता पाई जाती है।इसलिए उसकी प्रकृति में वैज्ञानिकता है।मनोविज्ञान में भविष्य वाणी का अर्थ है कि प्राणी के व्यवहार के संबंध में वैज्ञानिक रीति से अध्ययन किया गया है तो कहा जा सकता है कि यह प्राणी उन्ही परिस्थतियों में भविष्य में उसी प्रकार व्यवहार करेगा।अतः मनोविज्ञान के अध्ययन और नियमो के आधार पर प्राणी के व्यवहार के सम्बन्ध में भविष्यवाणी की जा सकती है।

ऊपर दी गई पाचों विशेषताओं के आधार पर कहा जा सकता है की ये सभी विशेषताए मनोविज्ञान की विषय सामग्री में विद्यमान है अतः हम कह सकते है कि मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है।

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