भाषा का क्षेत्र-Language area
जबकि मौखिक भाषा में मौखिक शब्दों द्वारा पारंपरिक स्वरुप या वार्तालाप जैसे वाद-विवाद, सिंपोजियम, संगोष्ठी,पैनल चर्चा,टेलीफोन वार्ता, वार्तालाप आदि सम्मिलित है।
मोटे तौर पर भाषा का विषय क्षेत्र संचार ही है चाहे,वह किसी भी रुप में हो। आज शिक्षा के क्षेत्र में भाषा माध्यमों के रूप में केवल पुस्तकों,जनरल आदि का ही उपयोग नहीं हो रहा, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक संचार तकनीक ने विभिन्न शैक्षिक बैकग्राउंड से आए हुए अधिगमकर्ता को सीखने के नए आयाम एवं नए अवसर प्रदान किए हैं। उच्च स्तरीय शैक्षिक योजनाएं शिक्षा के क्षेत्र में काफी कारगर सिद्ध हुई है।
1. भाषा भावाभिव्यक्ति का साधन है-
भाषा विचार विनिमय का एक साधन है। मनोभावों की अभिव्यक्ति के प्रयत्न ने भाषा को जन्म दिया जिसके माध्यम से मानव अपने विचारों अपने सुख-दुख को एक दूसरे व्यक्ति से कहता है तथा सुनता है। इसी भाषा के माध्यम से आज मनुष्य अपने भावाभिव्यक्ति के साथ-साथ विचार-विनिमय करता है।
2. भाषा मानव विकास का मूलाधार है-
भाषा की शक्ति के माध्यम से ही मनुष्य प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ है वैसे तो संसार के अंय प्राणियों के पास भी अपनी अपनी भाषाएं हैं परंतु विचार प्रधान भाषा मनुष्य के पास ही है। भाषा के अभाव में मनुष्य विचार नहीं कर सकता और विचार के अभाव में वह अपने ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सकता।
3. भाषा मानव सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान है-
जैसे-जैसे मानव समाज ने अपनी भाषा में प्रगति की, वैसे -वैसे उन की सभ्यता एवं संस्कृति में विकास हुआ। ज्ञान -विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति हुई और श्रेष्ठ साहित्य का सृजन हुआ। तब ही किसी जाति समाज व राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति का आकलन उसके साहित्य से किया जाता है। अतः भाषा की कहानी ही मानव सभ्यता एवं संस्कृति की कहानी है।
4. विचार शक्ति का विकास
भाषा के बिना विचारों को याद रखना असंभव है व मनन शक्ति और विचार शक्ति का विकास भी असंभव ही है।
5. ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख साधन है-
भाषा के माध्यम से ही पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी को सामाजिक विरासत के रूप में अब तक का समस्त संक्षिप्त ज्ञान भावी पीढ़ी को सौंप दी है और यही क्रम निरंतर चलता रहता है तथा भाषा का विकास होता रहता है।
6. भाषा मानव के भाव, विचार, अनुभव एवं आकांक्षाओं को सुरक्षित रखती है-
भाषा के माध्यम से हम अपने भाव,विचार, अनुभव एवं आकांक्षाओं को सुरक्षित रखते हैं। प्रत्येक आने वाली पीढ़ी उसमें अपने भाव-विचार, अनुभव एवं आकांक्षाएं जोड़कर अपने से आगे की पीढ़ी को स्थानांतरित कर देती है। भाषा के अभाव में यह सब असंभव है। bhasha ka mahatva
भाषा का महत्व एवं कार्य-Importance and work of language
मनुष्य ने ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में जो भी विकास एवं प्रगति की है उसका से भाषा को ही जाता है इस दृष्टि से मानव जीवन में bhasha ka mahatva सबसे अधिक है जो समाज के विकास की मूल आधारशिला है। भाषा के प्रमुख कार्य एवं महत्व निम्न प्रकार से हैं। bhasha ka mahatva kya haiभाषा का महत्व-importance of language-
1. भाषा भावाभिव्यक्ति का साधन है-
भाषा विचार विनिमय का एक साधन है। मनोभावों की अभिव्यक्ति के प्रयत्न ने भाषा को जन्म दिया जिसके माध्यम से मानव अपने विचारों अपने सुख-दुख को एक दूसरे व्यक्ति से कहता है तथा सुनता है। इसी भाषा के माध्यम से आज मनुष्य अपने भावाभिव्यक्ति के साथ-साथ विचार-विनिमय करता है।
2. भाषा मानव विकास का मूलाधार है-
भाषा की शक्ति के माध्यम से ही मनुष्य प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ है वैसे तो संसार के अंय प्राणियों के पास भी अपनी अपनी भाषाएं हैं परंतु विचार प्रधान भाषा मनुष्य के पास ही है। भाषा के अभाव में मनुष्य विचार नहीं कर सकता और विचार के अभाव में वह अपने ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सकता।
3. भाषा मानव सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान है-
जैसे-जैसे मानव समाज ने अपनी भाषा में प्रगति की, वैसे -वैसे उन की सभ्यता एवं संस्कृति में विकास हुआ। ज्ञान -विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति हुई और श्रेष्ठ साहित्य का सृजन हुआ। तब ही किसी जाति समाज व राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति का आकलन उसके साहित्य से किया जाता है। अतः भाषा की कहानी ही मानव सभ्यता एवं संस्कृति की कहानी है।
4. विचार शक्ति का विकास
भाषा के बिना विचारों को याद रखना असंभव है व मनन शक्ति और विचार शक्ति का विकास भी असंभव ही है।
5. ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख साधन है-
भाषा के माध्यम से ही पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी को सामाजिक विरासत के रूप में अब तक का समस्त संक्षिप्त ज्ञान भावी पीढ़ी को सौंप दी है और यही क्रम निरंतर चलता रहता है तथा भाषा का विकास होता रहता है।
6. भाषा मानव के भाव, विचार, अनुभव एवं आकांक्षाओं को सुरक्षित रखती है-
भाषा के माध्यम से हम अपने भाव,विचार, अनुभव एवं आकांक्षाओं को सुरक्षित रखते हैं। प्रत्येक आने वाली पीढ़ी उसमें अपने भाव-विचार, अनुभव एवं आकांक्षाएं जोड़कर अपने से आगे की पीढ़ी को स्थानांतरित कर देती है। भाषा के अभाव में यह सब असंभव है। bhasha ka mahatva
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