इस समय भारत में संस्कृत फारसी व अरबी भाषा में शिक्षा दी जा
रही थी।
मुस्लिम शिक्षा के केंद्र मदरसा व मकतब थे।
1781 में वॉरेन होस्टिंग के द्वारा कोलकाता
में एक मदरसा स्थापित किया गया। जो कि शिक्षा के क्षेत्र में किया गया पहला प्रयास
था।
एशियाटिक सोसाइटी
1784 में विलियम जॉन के द्वारा कोलकाता में
एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना की गई।
संगठन का उद्देश्य भारतीय ग्रंथों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद
करना था। अभिज्ञान शकुंतलम मनुस्मृति जैसे ग्रंथों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद
किया।
मनुस्मृति 'इंस्टीट्यूट
हिंदू लॉ'के नाम से जाना गया ।
एशियाटिक सोसाइटी के द्वारा एशियाटिक रिसर्चज पत्रिका काफी
प्रकाशन किया गया।
1813 के चार्टर एक्ट में शिक्षा के लिए ₹100000 खर्च किए जाने का प्रावधान किया गया।
अधोमुखी निस्यंदन
सिद्धांत-
ऑकलैंड के द्वारा दिया गया जिसके द्वारा
यह कहा गया कि यदि समाज के उच्च वर्ग को शिक्षित कर दिया जाए तो समाज का निम्न
वर्ग स्वत ही शिक्षित हो जाएगा।
प्राच्य पाश्चात्य विवाद-
1. पाश्चात्य या आंग्ल भाषा के समर्थक-
मुनरो, मैकाले, एलफिंस्टन
2. प्राच्य भाषा के समर्थक-
एच. टी. प्रिंसेप
मैकाले का मानना था कि यूरोप के पुस्तकालय की अलमारी का एक
हिस्सा भारत में अरब के साहित्य से ज्यादा मूल्यवान है।
मैकाले के द्वारा शिक्षा पर एक लेख प्रकाशित किया गया जिसमें
कहा गया कि यूरोपीय साहित्य का भारत में प्रचार अंग्रेजी भाषा में किया जाना
चाहिए।
प्रमुख कॉलेज-
1. 1835 मैं कोलकाता में मेडिकल कॉलेज की
स्थापना हुई।
2. 1847 में जेम्स वाटसन द्वारा रुड़की में
इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना हुई। यह भारत का प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज माना जाता
है।
3. 1854 में मुंबई में ग्रांट मेडिकल कॉलेज की
स्थापना हुई।
वुड डिस्पैच-
19 जुलाई 1854
डलहौजी के काल में
इसी 'शिक्षा
का मैग्नाकार्टा' कहते
हैं
मुख्य बिंदु-
1.पाश्चात्य शिक्षा का भारत में प्रचार किया जाए।
2. प्राथमिक स्तर की शिक्षा स्थानीय भाषा में, माध्यमिक स्तर की शिक्षा स्थानीय व
अंग्रेजी भाषा में तथा विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा अंग्रेजी भाषा में दी जानी
चाहिए।
3. बंगाल, मुंबई
व मद्रास तीनों में एक एक विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। विश्वविद्यालय
में कुलपति, उपकुलपति
सीनेट व विधि सदस्य नियुक्त किए जाने चाहिए।
4. पांच स्थानों पर केंद्रीय शिक्षा विभाग की स्थापना की जानी
चाहिए जो कि एक निदेशक के नियंत्रण में होनी चाहिए।
5 महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
6 निजी क्षेत्रों को भी शिक्षा में आने की अनुमति देनी चाहिए।
7 विश्वविद्यालय में तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जानी
चाहिए।
वुड डिस्पैच की सभी सिफारिशों को मान लिया गया 1857 में तीनों प्रेसिडेंसीयो मैं एक एक
विश्वविद्यालय की स्थापना कर दी गई।
पांच स्थानों पर केंद्रीय शिक्षा विभाग की स्थापना हुई।
बैथून की देखरेख में महिला पाठशाला की स्थापना हुई।
हंटर आयोग-
1882 रिपन के काल में 8 सदस्यों वाले इस आयोग का गठन किया गया।
यह आयोग प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा में सुधार करने हेतु गठित किया गया।
मुख्य बिंदु
1. प्राथमिक स्तर की शिक्षा में सुधार किया जाना चाहिए, स्थानीय भाषा में प्राथमिक स्तर की
शिक्षा दी जानी चाहिए।
2. माध्यमिक स्तर की शिक्षा को दो भागों में बांटना चाहिए।
1. व्यावसायिक 2.साहित्यिक
3. योग्य विद्यार्थियों को ही साहित्यिक शिक्षा दी जानी चाहिए।
साहित्यिक शिक्षा प्राप्त की जाने के बाद ही विश्वविद्यालय में
प्रवेश किया जाना चाहिए।
4.निजी क्षेत्र को भी प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा में आने का
मौका दिया जाना चाहिए।
हंटर आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया।
1882 में पंजाब विश्वविद्यालय तथा 1887
में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना
हुई।
भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम 1904-
1899 में कर्जन भारत का वायसराय बना। अर्जुन
के काल में पुलिस सुधार आयोजन, सिंचाई
आयोग तथा बंगाल विभाजन जैसी बड़ी घटनाएं घटी।
कर्जन का मानना था कि भारतीय
विश्वविद्यालय राष्ट्रवाद के केंद्र बनते जा रहे हैं अतः कर्जन के द्वारा
विश्वविद्यालय पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए 1902 में टॉमस रेलेे की अध्यक्षता में एक
आयोग का गठन किया गया जिसमें 2 भारतीय
सदस्य भी थे।
1 सैय्यद हुसैन बिलग्रामी
2. जस्टिस गुरदास बनर्जी
-इस आयोग की सिफारिशों के आधार पर 1950 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित
किया गया।
मुख्य बिंदु-
1. वायसराय को विश्वविद्यालय के नियम के संबंध में वीटो पावर
प्रदान किया जाए।
2. विश्वविद्यालय में सिनट के द्वारा जो प्रस्ताव पारित किए जाते
हैं सरकार को उन पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार दिया जाए।
3.वायसराय को विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार निर्धारित करने का
भी अधिकार दिया जाए।
4. विश्वविद्यालय में अध्ययन व शोध कार्य को बढ़ाया जाए।
टॉमस रैले के सभी सुझावों को मान लिया
गया कर्जन ने शिक्षा पर ₹500000
खर्च किए जाने निश्चित किए।
इसे विश्वविद्यालय अधिनियम का उद्देश्य भारत में बड़े रही
राष्ट्रवादी गतिविधियों पर नियंत्रण स्थापित करना था।
सैडलर आयोग 1917
यह आयोग विश्वविद्यालय से संबंधित
था।माइकल सैडलर की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया गया।इसका उद्देश्य कोलकाता
विश्वविद्यालय की समस्याओं का समाधान करना था।
इस आयोग में दो भारतीय सदस्य भी शामिल थे
1.डॉक्टर जियाउद्दीन अहमद
2. डॉ आशुतोष मुखर्जी
सैडलर आयोग ने 1904 के विश्वविद्यालय अधिनियम की आलोचना की थी।
सैडलर आयोग का मानना था कि यदि विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा
में सुधार लाना है तो सर्वप्रथम प्राथमिक स्तर की शिक्षा में सुधार किया जाना
चाहिए।
मुख्य बिंदु --
1 स्कूल की शिक्षा 12 बरस तक होनी चाहिए।
2 स्कूली शिक्षा के बाद स्नातक स्तर की शिक्षा दी जानी चाहिए जो
कि 3 वर्ष की होनी चाहिए।
3 स्नातक स्तर की शिक्षा से पहले इंटरमीडिएट की शिक्षा दी जानी
चाहिए।
इंटरमीडिएट 10+2+3
4 ढाका में एकांकी विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए।
5 महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
6 विश्व विद्यालय में अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
सैडलर आयोग की सिफारिशों के आधार पर उत्तर प्रदेश में बोर्ड ऑफ
सेकंडरी एजुकेशन की स्थापना की गई।
सैडलर आयोग के बाद भारत में कहीं विश्वविद्यालय स्थापित हुई
जैसे कि-
v
पटना
विश्वविद्यालय
v
उस्मानिया
विश्वविद्यालय
v
बनारस
विश्वविद्यालय
v
लखनऊ
विश्वविद्यालय
v
अलीगढ़
विश्वविद्यालय
v
सैडलर
आयोग के समय भारत के वायसराय चेम्सफोर्ड थे।
हर्टोंग कमीशन 1929
वॉइसराय इरविन के काल में फिलिप हार्टोंग की अध्यक्षता में इस
समिति का गठन किया गया।
हर्टोग समिति ने प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर की शिक्षा में
सुधार करने हेतु निम्न सुझाव दिए
1 प्राथमिक स्तर की शिक्षा को राष्ट्रीय महत्व का विषय बनाना
चाहिए।
2 ग्रामीण स्तर के विद्यार्थियों को माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा
ही दी जानी चाहिए।
3 इसके बाद विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जानी
चाहिए।
4 केवल योग्य विद्यार्थियों को ही विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा
प्रदान की जानी चाहिए।
वर्धा प्रस्ताव 1937
इस समय भारत के वायसराय लिनलिथगो थे।
गांधी जी ने अपने समाचार पत्र हरिजन के माध्यम से शिक्षा के
लिए जो योजना प्रस्तुति कि उसे मौलिक प्रस्ताव या मौलिक शिक्षा या वर्धा योजना के
नाम से जाना गया।
-डॉक्टर जाकिर हुसैन के द्वारा इस योजना का प्रस्ताव तैयार किया
गया इस योजना का मुख्य उद्देश्य कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना तथा प्राथमिक स्तर की
शिक्षा को निशुल्क व अनिवार्य करना था।
-गांधीजी ने प्राथमिक स्तर की शिक्षा मातृभाषा में दिए जाने की
बात की।
सार्जेंट आयोग 1944
इस समय भारत के वायसराय वेवेल थे।
सार्जेंट के द्वारा पहली बार 6 से 11 वर्ष के बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य
शिक्षा दी जाने की
बात कही गई और इंटरमीडिएट व्यवस्था को भी समाप्त किए जाने की बात कही गई।
राधाकृष्णन आयोग 1948
1. विश्वविद्यालय से पहले की शिक्षा 12
वर्षों की होनी चाहिए।
2. विश्वविद्यालय में कम से कम 180 दिनों तक अध्यापन का कार्य करवाना
चाहिए।
3. अध्यापकों का मानदेय उचित होना चाहिए।