शिक्षा की प्रकृति (shiksha ki prakriti/Nature of Education)-
1.शिक्षा सामाजिक प्रक्रिया Social process of education-
शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज का एक अभिन्न अंग है। मनुष्य के व्यवहार में परिवर्तन व शिक्षा दोनों ही सामाजिक प्रिक्रिया के रूप में होती है। सामाजिक आवश्यकताओं के अनुसार ही छात्र के विचारों तथा व्हवहार में परिवर्तन आता है। शिक्षा के द्वारा ही छात्रों को सामाजिक विकास संभव है। shiksha ki prakriti
2.शिक्षा गतिशील प्रक्रिया Dynamic process of education -
समय के अनुसार शिक्षा(education) में भी परिवर्तन होता रहता है। शिक्षा के उद्देश्य,शिक्षण विधि,पाठ्यक्रम में भी परिवर्तन होते रहते है। ज्ञान और शिक्षा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी की और बढ़ती रहती है। शिक्षा की गतिशीलता के कारण ही हम प्रगति की और बढ़ सकते है। यही शिक्षा की गति शीलता है।3.शिक्षा द्विध्रुवी प्रक्रिया Education bipolar process-
शिक्षा के दो ध्रुव माने जाते है (1) शिक्षक (teacher) (2) शिक्षार्थी (students)शिक्षा की प्रक्रिया में दोनों का होना आवश्यक है।
शिक्षक प्रभावित करता है और शिक्षार्थी उससे प्रभावित होता है।
4.शिक्षा अनवरत प्रक्रिया Continuous process of education-
शिक्षा एक अनवरत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। मनुष्य अपने जन्म से मृत्यु पर्यन्त शिक्षा प्राप्त करता रहता है। मनुष्य औपचारिक व अनोपचारिक रूप से कुछ न कुछ अवश्य सीखता रहता है।5.शिक्षा विकास की प्रक्रिया Process of education development-
मानव का जन्मजात व्यवहार पशु के समान होता है।शिक्षा इन जन्मजात शक्तियों का विकास करती है। मानव के विकास के साथ ही शिक्षा से समाज की संस्कृति व सभ्यता का विकास होता है।6.शिक्षा सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया Education All-round development process-
शिक्षा का कार्य बालक की कुछ क्षमताओ का विकास करना ही नही है। बल्कि बालक के सभी पक्षो का ( ज्ञानात्मक,भावात्मक,क्रियातमक ) विकास करना है। shiksha ki prakritiयह भी पढ़ें-