Short notes on RPSC
संविधान के भाग 14 में अनुच्छेद 315 से 323 तक संघ व राज्य लोक सेवा आयोग का गठन, कार्य व शक्तियों का उल्लेख किया गया है।
- अनुच्छेद 315 के अनुसार प्रत्येक राज्य में एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है।
- अनुच्छेद 315 (2) के तहत दो या दो से अधिक राज्यों हेतु संयुक्त लोक सेवा आयोग का प्रावधान है।
- संयुक्त लोक सेवा आयोग का गठन संसद कानून बनाकर या अधिनियम के माध्यम से करती है।
- संयुक्त लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्य अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंपते हैं।
राजस्थान राज्य लोक सेवा आयोग RPSC :-
- RPSC राज्य में मुख्य केंद्रीय भर्ती अभिकरण है।
- RPSC का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के प्रशासन के परिचालन हेतु भर्ती के माध्यम से कुशल अधिकारियों व कर्मचारियों का चयन करना है।
- 16 अगस्त 1949 को
- अजमेर
- 1956 में सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर RPSC का मुख्यालय जयपुर से अजमेर स्थापित किया गया था।
RPSC में सदस्य संख्या-
- अध्यक्ष+ 7 सदस्य = 8 सदस्य
नियुक्ति(Appointment)-
- राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह से
योग्यता(Eligibility)-
- आयोग के आधे सदस्यों को केंद्र या राज्य सरकारी सेवा में 10 वर्ष का अनुभव हो।
- आयोग के वरिष्ठ सदस्य को अध्यक्ष बनाने की परंपरा है।
कार्यकाल(Tenure)-
- 6 वर्ष या 62 वर्ष जो भी पहले हो
- RPSC अध्यक्ष तथा सदस्य पुनर्नियुक्ति नहीं किए जा सकते।
- लेकिन सदस्य अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं।
त्यागपत्र(resignation letter)-
- राज्यपाल को
हटाने की विधि-
- सर्वोच्च न्यायालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति हटा सकता है।
आरोप-
1.सिद्ध कदाचार 2. अक्षमता 3.लाभ का पद 4.दिवालिया घोषित होना
RPSC की सांगठनिक संरचना(Organizational structure of RPSC)-
आयोग को 6 भागों में बांटा गया है।1 प्रशासनिक संभाग(Administrative division)-
इसको दो भागों में बांटा गया है
(i) संस्थापन विभाग- सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवा शर्तें निर्धारित करता है।
(ii) निरीक्षण विभाग- इसका कार्य आयोग की सुरक्षा व्यवस्था आपूर्ति एवं भंडार की देखभाल करना है।
2 भर्ती संभाग(Recruitment division)-
विभिन्न पदों के लिए आयोजित परीक्षाओं के आवेदन पत्र प्राप्त करना एवं उनका रिकॉर्ड रखना साक्षात्कार व अन्य भर्तियों के परिणाम तैयार करना।
3. परीक्षा संभाग(Examination Section)-
सभी प्रकार की परीक्षा संबंधी कार्यों के संचालन के लिए उत्तरदाई हैं।
4 लेखा संभाग(Accounting division)-
इस संभाग का कार्य RPSC का बजट तैयार करना तथा आई व्यय का लेखा जोखा रखना।
5 विधि संभाग(Method of division)-
विभिन्न मामलों में कानूनी कार्यवाही एवं अपील संबंधी कार्य करना।
6 शोध संभाग(Research division)-
2. राज्य की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षा का संचालन करना।
3. पदोन्नति के माध्यम से भर्ती करना।
4. राज्य के किसी कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने हेतु राज्य सरकार को सलाह है देती है।
5. स्थानांतरण, पदस्थापन, छतिपूर्ति आदि के संबंध में राज्य सरकार को सलाह देती है।
नोट -RPSC केवल भर्ती आयोजित करती है नियुक्ति कार्मिक विभाग देता है।
6 शोध संभाग(Research division)-
- प्रति एवं परीक्षा प्रक्रिया में सुधार हेतु अनुसंधान करना।
- आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन भी शोध संभाग तैयार करता है।
- आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को सौंपता है राज्यपाल उसे विधानसभा के समक्ष रखता है।
RPSC की शक्तियां व कार्य(RPSC's Powers and Functions)-
1. राज्य की प्रशासनिक पुलिस लेखा सहकारिता आदि सेवाओं के रिक्त पदों पर नवसृजित पदों पर भर्ती करना।2. राज्य की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षा का संचालन करना।
3. पदोन्नति के माध्यम से भर्ती करना।
4. राज्य के किसी कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने हेतु राज्य सरकार को सलाह है देती है।
5. स्थानांतरण, पदस्थापन, छतिपूर्ति आदि के संबंध में राज्य सरकार को सलाह देती है।
नोट -RPSC केवल भर्ती आयोजित करती है नियुक्ति कार्मिक विभाग देता है।
RPSC की भूमिका(Role of RPSC)-
- संविधान RPSC को राज्य में मैरिट पद्धति के वॉच डॉग के रूप में देखता है।
- इसकी भूमिका राज्य सेवाओं के लिए भर्ती करना वह अनुशासनात्मक मामलों में सरकार को सलाह देना है।
- सेवाओं के वर्गीकरण, भुगतान, स्थिति, प्रबंधन, प्रशिक्षण आदि से इसका कोई सर्वकार नहीं है।
- अतः RPSC की भूमिका ना केवल सीमित है बल्कि उसके द्वारा दिए गए सुझाव भी सलाहकारी प्रवृत्ति के होते हैं अथार्त सरकार सुझावों को मानने हेतु बाध्य नहीं है।